Page 41 - लक्ष्य - चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
P. 41

laHya
                                                                                                      laHya








                              भारत क  नाम प  - मेरी भारत माता @ 2047


                 य भारत माता,

               मुझे आशा ह   क यह प  आपको पूण  उ साह और  व थता क  साथ  मलेगा। म  हाथ म  कलम लेकर नह , ब  क  दल म  आशा
               लेकर  लख रहा    - आपक  भ व य क  आशा और देश क  उस सपने क  साथ, जो म  चाहता     क आप बन ।

               आपने हम  ब त क छ  दया ह : आपक  खेत, न दयाँ, जंगल और आपक  आ मा। आपने वै ा नक, कलाकार, सै नक,  कसान
               और सपने देखने वाले -  टाट अप - पैदा  कए ह । और अब, आपक  संतान क   प म , म  आपक  साथ वह साझा करना चाहता
                  जो म  आने वाले वष  म  देखना चाहता    - 2047 म  एक स े  वक सत भारत का मेरा    कोण।

               मेर   लए, एक  वक सत भारत का मतलब गगनचुंबी इमारत  या तेज़ ग त वाली   न  से नह  ह । बेशक, ये मायने रखते ह ।
               ले कन म  इससे भी बढ़कर क छ और देखता    - एक ऐसा देश जहाँ हर  य   को समान अवसर  मल , हर ब ा  क ल जाए
               और हर प रवार क   सर पर छत हो और थाली म  भोजन हो।

               मेर  सपने म , सबसे मज़बूत  तंभ  श ा ह । सभी ब   को, चाह  वे शहर म  पैदा ह  या गाँव म , अ छी  श ा  मलनी चा हए।
                सफ़  परी ा पास करना ही नह , ब  क सोचना, नया करना और  वकास करना भी ज़ री ह ।  श क  को सीखना चा हए –
               दो ताना माहौल म , न  क  सफ़   लैकबोड  वाली इमारत  म ।

                वा  य सेवा एक और मह वपूण  क  जी ह । एक  वक सत भारत को एक  व थ भारत होना चा हए। अ छ  अ पताल, साफ़
               पानी, अ छा पोषण – ये सब  वला सता (luxury) नह  होनी चा हए।  कसी भी इ सान क  जान  सफ़  इस लए नह  जानी
               चा हए  य  क वह इलाज का खच  नह  उठा सकता या उसे मदद क   लए ब त दूर जाना पड़ता ह ।

                वकास का एक और अहम पहलू रोज़गार ह । म  एक ऐसे भारत क  कामना करता    जहाँ युवा  को अवसर  क  तलाश म
               पलायन न करना पड़ । जहाँ  कसान  क  पास स मानजनक जीवन जीने क   लए पया   आय हो। जहाँ तकनीक लोग  क  मदद
               कर , उ ह   व था पत न कर ।  म  एक ऐसे देश क  क पना करता    जहाँ काम को उसका हक़  मले, न  क बबा द  कया जाए।

               म हलाएँ घर , द तर  और सड़क  पर सुरि त, स मा नत और समान होनी चा हए। अगर आधी आबादी को पीछ  रखा गया तो
                वकास कभी संभव नह  होगा। मेर  भारत को सभी क   लए समानता क   लए खड़ा होना होगा।

               अंत म , म  एक ऐसे भारत क  कामना करता    जहाँ हम एक ऐसे भारत क , उस धरती क  र ा कर  जो आपने हम  दी ह । एक
               रा  जो समृ  तो होता ह , ले कन अपनी  वरासत को नह  भूलता – जो शहर  का  नमा ण तो करता ही ह , साथ ही जंगल  का
               संर ण भी करता ह , अपनी न दय  को शु  करता ह  और अपने व यजीव  का स मान करता ह ।

               माँ, मुझे पता ह   क यह एक बड़ा सपना ह । ले कन सभी बड़  बदलाव छोट  कदम  से शु  होते ह । म  अपना योगदान देने क
               शपथ लेता    – मन लगाकर पढ़ाई क  गा, कड़ी मेहनत क  गा, दूसर  क  सेवा क  गा, और आप पर कभी  व ास नह
               खोऊ गा। यही वह भारत ह   जसका म  सपना देखता   ।

               यही वह देश ह  जहाँ म  रहना चाहता   । और यही वह भ व य ह   जसक  मुझे आशा ह   क हम सब  मलकर बनाएंगे।

                यार और  व ास क  साथ

               आपका ब ा।

                                                                                                   अर व दर शमा
                                                                                              व र  बंधक (स चव)
                                                               39
   36   37   38   39   40   41   42   43   44   45   46