Page 46 - लक्ष्य - चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                             कहा नय  क  बदलती पर परा - : धरोहर से  ड जटल तक



               कभी समय था जब रात का अंधेरा ढलते ही घर-आँगन म   चराग  क  लौ  टम टमाती थी। ब े दादी-नानी क  गोद म
               दुबक कर बैठ जाते और कहा नय  का द रया बह  नकलता।राजा-रानी, दानव-दै य, चतुर लोमड़ी और भोला

               खरगोश—इन सबक  दु नया म  ब े ह सते, डरते, च कते और सीखते भी थे। इन कहा नय  क  साथ घुली रहती थी घर
               क  गमा हट और बुजुग  क  ममता।

               कहानी सुनना और सुनाना क वल समय  बताना नह  था। यह सं कार  क  पाठशाला थी। कहा नय  म  नै तकता का पाठ
                छपा होता, धैय  और साहस क  सीख होती, और जीवन क  छोटी-बड़ी उलझन  को सुलझाने का रा ता भी। दादी-नानी
               क   वर म  जो अपनापन था, वह  कताब  क  पं  य  से पर  था।

               धीर -धीर  जब छापाखाना आया, तो कहा नय  ने नया  ठकाना पा  लया। अब वे आँगन से  नकलकर  कताब  और

               प  का  म  बस ग ।चंपक, नंदन, परागजैसी प  काएँ ब   क  दो त बन । श द  म  बसी वही पुरानी जादुई दु नया
               अब कागज़ पर उतर आई।

                फर आया र  डयो का ज़माना। आकाशवाणी पर गूँजती बाल कथाएँ मानो हर घर म  दादी-नानी को प  चा देती थ ।
               ट ली वज़न ने कहा नय  को  च  और अ भनय का  प  दया। र ववार क  सुबहरामायण और महाभारत क   सारण पर
               सड़क  सुनसान हो जाती थ —इतना गहरा था कहा नय  का आकष ण।


               आज मोबाइल और इ टरनेट ने दु नया को मु ी म  समेट  लया ह । कहा नयाँ अब क वल  कताब  या टीवी तक सी मत
               नह  रह ।  लॉग, यू यूब, ऑ डयोबु स—हर मा यम ने कहानी को नया जीवन  दया। जो पर परा कभी आँगन तक
               सी मत थी, वह अब बटन दबाते ही पूरी दु नया तक प  च रही ह ।

               और अब... कहा नय  का नया  प ह  पॉडका ट। इयरफ़ोन लगाते ही आवाज़  हमार  कान  म  उतरती ह  और हम  उसी
               दु नया म  ले जाती ह  जहाँ कभी दादी-नानी ले जाया करती थ । फक  इतना ह   क तब कहा नयाँ चू ह  क  आंच और

               रजाई क  गरमाहट म  सुनाई जाती थ , और आज वे  ड जटल तर ग  पर तैरते  ए हमार   दल तक प  चती ह । वषय भी
               बदल गए ह —अब  सफ  राजा-रानी क  नह , ब  क  व ान, इ तहास, रह य,  ेरणा और हा य क  कहा नयाँ भी
               पॉडका ट क  मा यम से सुनाई जा रही ह ।

               कहानी कहने क  पर परा समय क  साथ बदलती रही ह —मौ खक से  ल खत, र  डयो से ट ली वज़न, और अब
               पॉडका ट तक। पर तु कहा नय  का सार आज भी वही ह :मनु य को मनु य से जोड़ना,  दल  म  क पना  क  र ग भरना

               और जीवन क  रा त  को सरल बनाना।तकनीक ने मा यम बदले ह , पर कहा नय  क  आ मा आज भी वैसी ही
               ह —मधुर, आ मीय और अनमोल।



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                                                                                           व र   बंधक (स चव)





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