Page 50 - लक्ष्य - चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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ले कन मोह े म कसी भी घर म कोई काय म हो तो बना संकोच, बना वचार कए काम करने वाली पीढ़ी।
क पल, सुनील गाव कर, व कट, स ा क ग दबाज़ी देखी,
पीट स स, मह श भूप त, ट फ ाफ, अ गासी का ट नस देखा,
राज, दलीप, धम , जत , अ मताभ, राजेश ख ा, आ मर, सलमान, शाह ख, माधुरी – इन सब पर फदा रहने वाली
यही पीढ़ी।
पैसे मलाकर भाड़ पर VCR लाकर 4–5 फ म एक साथ देखने वाली पीढ़ी।
नाना, ओम पुरी, शबाना, मता पा टल, गो वंदा, ज गू दादा, सोनाली जैसे कलाकार को देखने वाली पीढ़ी।
“ श क से पटना” – इसम कोई बुराई नह थी, बस डर यह रहता था क घरवाल को न पता चले, वरना वहाँ भी
पटाई होगी।
श क पर आवाज़ ऊ ची न करने वाली पीढ़ी।
चाह जतनी भी पटाई ई हो, अगरआज भी कह रटायड श क दख जाएँ तो न:संकोच झुककर णाम करने वाली
पीढ़ी।
कॉलेज म छ ी हो तो याद म सपने बुनने वाली पीढ़ी......
न मोबाइल, न SMS, न हा सऐप......
सफ मलने क आतुर ती ा करने वाली पीढ़ी।
रफ , मुक श, लता, आशा व कशोर क मार जी क गाने गुनगुनाने वाली पीढ़ी और मह कपूर जी क देश भ क गाने
सुनकर आँख प छने वाली पीढ़ी ।
दीवाली क पाँच दन क कहानी जानने वाली पीढ़ी......
लव–इन तो छोिड़ए, लव मै रज को भी ब त बड़ा “ड र ग” समझने वाली पीढ़ी......
क ल–कॉलेज म लड़ कय से बात करने वाले लड़क भी एडवांस कहलाते थे।
फर से आँख मूँद तो...
वो दस......, बीस......,अ सी......, न बे...... वही सुनहरी याद ।
गुज़र दन तो नह आते, ले कन याद हमेशा साथ रहती ह ।
और यह समझने वाली समझदार पीढ़ी थी क –
आज क दन भी कल क सुनहरी याद बन गे।
हमारा भी एक ज़माना था......
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