Page 23 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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पावाोत्तर भारतीः अदेभ्य संंदेय� काा एका अनाोखाा तीानाा-बाानाा
श्रीी रााणीा मोसंाहाराी,
वंरिरा. प्रबंंधकु (संनिचंवंीय)
निहोमालेय की गुोदे मं बंसा, उत्तरा
पूवं� भााराते निवंनिवंध परिरादृश्यं,
जीवंंते संस्कृनितेयं औरा समृद्ध जवं
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निवंनिवंधतेा का एक लेुभाावं�ा निचत्रीपटी
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होै । बंफी से ढंकी चोनिटीयं से लेकरा
होराी-भाराी घाानिटीयं, गुराजतेी �निदेयं
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से लेकरा फी ु सफी ु साते झरा�ं तेक,
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यहो क्षत्री प्रकृनिते प्रनिमयं औरा राोमांच
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चाहो� वंालें क निलेए एक अनिद्वातेीय
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अ�ुभावं प्रदेा� करातेा होै ।
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म�मोहकु स्र्थलाकु ृ नितः इस क्षत्री
मं निवंनिवंध स्थालेाकृनिते होै, निजसमं
निसनिक्कम मं शनिक्तशालेी निहोमालेय से
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लेकरा मेघाालेय की होराी-भाराी घाानिटीया ँ
शानिमले हों। अरूर्णाचले प्रदेेश मं
जीराो घााटीी सुराम्य परिरादृश्यं औरा
स्वंदेेशी आपातेा�ी संस्कृनिते का
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