Page 27 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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           बंारा लेोगु घाटी�ाओंं क �काराात्मक परिरार्णामं को अनितेरांनिजते कराते हों जो
           अ�ावंश्यक निचंतेा पदेा कराते हों औरा इसे साम�ा करा�ा कनिठ� बं�ाते  े
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           हों। कभाी -कभाी जबं बंहोुते साराी चीजं निकसीक साथा गुलेते होो जातेी हों,   प्रकाहिती और मनाुष्य
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           तेो असहोाय महोसूस करा�ा औरा होारा मा� ले�ा आसा� होो सकतेा होै।
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           होम ऐसी निस्थानिते से नि�पटी� क निलेए क्या करा सकते हों, जहोां सबंक ु छे
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           गुलेते होो जातेा होै। अनिधकांश लेोगुं � अप� जीवं� मं ऐसी निस्थानिते
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           का साम�ा निकया होै जबं चीजं निदे�ं/ सप्ताहो/ महोी�ं क निलेए गुलेते होो
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           गुई ं  औरा �ीचे की ओंरा सनिप�ले मं नि�यंत्रीर्ण सवंा होरा जा करा जहोां एक
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           चीज को ठीक करा� से पहोले एक औरा चीज गुलेते होो जातेी होै। होम
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           ऐसी निस्थानिते को कसे पारा करा सकते हों? इ� निस्थानितेयं को संभााले� क
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           निलेए होम क ु छे कदेमं को अप�ा सकते हों: निस्थानिते को स्वंीकारा करा।           श्रीीमती अर्पोणीा तालुकुदेारा
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                                                                                                        थ
           उ� कनिठ�ाइयं को कम � करा जो आप साम�ा करा राहोे हों, लेनिक�   र्पोत्�ी श्रीी माधवं तालुकुदेारा, वंरिरा. प्रबंंधकु (संनिचंवंीय)
                                                           े
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           उन्हों संदेभा� मं राख� औरा समस्या को बंढ़ा� से बंच� की कोनिशश भाी
           करा। अप�ी चु�ौनितेयं क बंारा मं देोस्तें, परिरावंारा या निचनिकत्सक से
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           समथा� ले। इस बंाते परा ध्या� दें निक आप क्या नि�यंनित्रीते करा सकते  े  प्रकृनिते म�ुष्य क जीवं� का वंहो मूले तेत्वं होै जो शायदे आजकले
                                                                                                    े
                                                                   की प्रगुनिते वंालेी देुनि�या भाूले चूकी होै । म�ुष्य क जीवं� मं प्रकृनिते
                                                                   की अहोनिमयते निकसी भागुवंा� से कम �हों होै । प्रकृनिते म�ुष्य
                                                                    े
                                                                   क जीवं� जी� का जरिराया होै जो उसे सारा सुख प्रदेा� करातेी
                                                                                                   े
                                                                              े
                                                                            े
                                                                   होै। प्रकृनिते � होमं साराी चीजं प्रदेा� की होै जो होमारा निलेए अनिते
                                                                                                        े
                                                                               ै
                                                                                                         ँ
                                                                   आवंश्यक होै, जसे फीले, जले, वंृक्ष, समुद्र, �निदेया आनिदे परा
                                                                                                         े
                                                                           े
                                                                                े
                                                                   म�ुष्य इसक बंदेले प्रकृनिते को वंहो �हों देे पाई, जो देे� का कतेव्य
                                                                                                               �
                                                                   म�ुष्य का थाा । एक समय थाा जबं प्रकृनिते को भाी भागुवंा� की
                                                                              े
                                                                                                   े
                                                                   तेराहो देूनिषाते होो� से बंचाया जाए परा आज क क समय मं म�ुष्य
                                                                                                     े
                                                                   भाूले गुया होै निक कसे वंहो आ� अ�जा� प्रकृनिते को निवं�ाश की
                                                                                ै
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                                                                                                े
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                                                                   ओंरा ले जा राहोा होै औरा खुदे भाी अप�ा निवं�ाश करा राहोा होै। जले
                                                                   प्रदेूषार्ण से लेकरा वंायु प्रदेूषार्ण, पयावंरार्ण देुनिषाते कराक म�ुष्यं �  े
                                                                                                         े
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                                                                   प्रकृनिते को आघााते पहोु�चाया होै ।
           हों। उ� निस्थानिते क पहोलेुओंं को पहोचा� जो आप की शनिक्त मं बंदेलेावं   म�ुष्यं को चानिहोए निक जीवं� मं संलेुले� लेाए प्रकृनिते का निवं�ाश
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                                       ं
           औरा कारावंाई करा� की शनिक्त क भाीतेरा हों। अप� निदेमागु मं आ�वंाले  े  �ा करा, उसे स्वंस्छे राखं निजससे वंहो अप� आज क साथा-साथा
                                                           े
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           �काराात्मक निवंचारां परा सोचं औरा इस तेराहो क �काराात्मक निवंचारां से
                                             े
                                                                                ँ
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           अनिधक सकाराात्मक प्रकाश मं बंच�ा चानिहोए।               अप�ा कले भाी सवंारा । अप�ी आ� वंालेी पीढ़ी को प्रकृनिते क
                                                                   महोत्वं को समझाएं  ।
           जबं आप अनिभाभाूते महोसूस करा राहोे हों तेो ब्राेक ले। निस्थानिते से देूरा कदेम
                                               ं
                      े
           राखं औरा अप� आप को आरााम करा� औरा राीसटी करा� क निलेए समय                   *****
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                                                   े
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           दें। निपछेलेी सफीलेतेाओंं को यादे राखं- अप� आप को उस समय की
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           यादे निदेलेाएं जबं आप अतेीते मं इसी तेराहो की चु�ौनितेयं का साम�ा
           कराते हों। आत्मोदेय का अभ्यास करा- अप� आप परा देया करा औरा
                                      ं
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           स्वंीकारा करा निक होरा कोई जीवं� मं असफीलेतेाओंं औरा कनिठ�ाइयं का
           अ�ुभावं करातेा होै।
                                  *****
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