Page 25 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                                           ू
               भारती मेरी मातीभहिम







                      भााराते का भाोरा, एक �ई शुरुआते का आह्वाा�,

                                   े
                                                    े
                      नितेरांगुे की शा� क साथा, होम शा� से खड़े हों,
                      कश्मीरा की बंफी से लेकरा कन्याक ु माराी क तेटी तेक,
                                      े
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                                                    े
                                                                                    श्रीीमती निदेर्पोाली देासं,
                      होमेशा होै होमारा रााष्ट्री की धड़ेक� ।                     उर्पो महाप्रबंंधकु (निवंनिध)
                                 े
                      होरा सास क साथा, होम प्रयास करागुे,
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                              े
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                      एक ज्ञा� की भाूनिम बं�� क निलेए, जहोा हृदेय मुक्त होो।
                                                      ै
                      होमारा सप�, प्रगुनिते औरा पराा�म का एक क�वंास,
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                          े
                      होम एक ऐसा भानिवंष्य निचनित्रीते करागुे, जहोा प्रम की चमक जगुमगुा उठ। े
                                              ं
                                                      े
                                                    ँ
                      2047 क निवंज़ी� मं, होम आज से होी,
                             े
                      एक उज्ज्वंले कले की ओंरा, राास्तेा खोज लेंगुे।

                                                        े
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                      एकतेा, अखंडतेा औरा प्रम क पनिवंत्री प्रकाश क साथा,
                      होम अप�ी मातेृभाूनिम को एक मागु�देश�क निसतेाराा बं�ाएँगुे।
                      'जय निहोंदे', होमाराा 'ज� गुर्ण म�', होमाराी आत्मा मं गुूंजतेा होै,


                      एक रााष्ट्री की भाावं�ा, जो होमं संपूर्ण� बं�ातेी होै।  “

                                                                                निजन्देगी एकु संफरा ह ै

                                                                                कुबं, कुहॉ, क्‍या हो जाए
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                                                                                कुोई �हं जा�ता

                                                                                निजसं र्पोल हम जी राह ह ं
                                                                                               े
                                                                                        ै
                                                                                वंही संचं ह औरा बंाकुी हमाराी उम्मीदे






                                                               25                                             “
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