Page 31 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
जदगी एक नाटक ह
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ज दगी एक नाटक ह, रंगमच का जीवन,
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हर दन एक नई भ मका, हर पल एक नया तमाशा,
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सपन क दु नया म खोकर, हम चलत ह आग,
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कभी हसत, कभी रोत, नभात ह अपन र त ।
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कभी ख शय का मला, कभी गम क छाया,
हर करदार म छपी ह, एक नई पहली,
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साज- गार म हरदम रहत, चहरे पर लकर म कान,
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ल कन दल क भीतर छ ु पा ह, एक अनकहा तफान ।
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कभी साथी, कभी दु मन, हर एक कार क यहा लोग,
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कछ पल क नाटक म, मलता सबको मान,
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ज दगी क इस रंगभ म पर, खद को कर तयार,
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हर दन नया सजन, हर रात क बाद नई सबह ।
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जस ही नाटक का गरता पदा, ख म खल होता,
सफ रह जाती याद, करती ह मन मलन,
नाटक म अपनी भ मका नभात रह,
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ज दगी क कहानी को, सजात रह ।
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स ी च कला ी
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बधक ( शासन), गवाहाटी ीय कायालय, हडको
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