Page 38 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
                                                                                                       2025-26










                                                                                                     प सल   कच  स              े
                                                                                                                      ै
















































                                                         "नज़र  म सपन"

                                                                      े
                                                               े
                                                                                                            ै
                                                                            ू
                                                                    े
                यह प सल स बनाया गया रेखा च  एक न    ब ी क ब  क  मासम आख  को इतनी बारीक  स दशा ता ह  क
                                                                                ँ
                           े
                                                                                                    े

                                                         े
                                                                   े
                                        ै
                वह सीध  दल तक प चती ह।  काश और छाया क मा म स इसक  कोमलता,  ज ासा और सहजता अ त  प स              े
                                  ँ
                                                                                                         ु
                       े
                                                                                                   ं
                                                                         े
                उभरकर  आती  ह।   ब ी  क  चहरे  पर  झलकता  कौतक  भाव  जस  बचपन  क    न लता  को  जीवत  कर  दता  ह। ै
                                                                       ै
                                           े
                                                              ु
                                                                                                           े
                                        े
                              ै
                                                                                        ै
                                                                                          े

                                                                                            ै

                                                   ै
                     ू
                प भ म क  गोल रोश नयाँ एक सपन  जसी दु नया रचती ह,  जसम यह न ा जीव जस तर रहा हो। यह  च  कोरी
                  ृ
                                                                  ै
                कला कता नह , ब   कोमल भावनाओं क  अ भ    ह।
                                                      "य न   आख पछती ह,
                                                                ँ
                                                        े

                                                                    ू

                                                   ा दु नया सच म इतनी सदर ह?"
                                                                            ै
                                                                        ुं

                                                                                                                 38
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